शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2012


राष्ट्रीय स्वास्थ्य का बुरा हाल/ Control M.M.R.P कैंपेन के तहत


सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को ठेंगा दिखा रही है सरकार!

• नेशनल फार्मास्यूटिकल्स प्राइसिंग पॉलिसी-2011 भी ठंढे बस्ते में
• दवा कंपनियों की लूट जारी लगातार जारी है
आशुतोष कुमार सिंह
भारत की जनता को सुप्रीम कोर्ट से बहुत ही उम्मीद होती है बावजूद इसके भारत सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का खुलेआम उलंघन कर रही है। नेशनल फार्मास्यूटिकल्स प्राइसिंग पॉलिसी-2002 में खामी होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्थगति कर दिया था और जल्द ही जनहित में एक नयी फार्मा नीति बनाने का निर्देश दिया था। 10 मार्च 2002 को दिए अपने आदेश में कोर्ट ने कहा था कि जीवन रक्षक दवाइयों की रिवाज्ड प्राइस नए सिरे से 2 मई 2003 तक पूरे किए जाए और कोर्ट को इसकी जानकारी दी जाए। 2003 की बात कौन कहे आज 2012 जाने को है लेकिन सरकारी स्तर पर इस मसले पर केवल कभी-कभार विचार-विमर्श होते रहे हैं और राष्ट्रीय दवा मूल्य नीति अभी तक लागू नहीं हो पाया है। नेशनल फार्मास्यूटिकल्स पॉलिसी-2011 का ड्राफ्ट पिछले साल अक्टूबर में ही तैयार हो गया था लेकिन जनसुझाव के नाम पर इसे भी लटका कर रखा गया है। और तब से लेकर अब तक दवा कंपनियों की मनमानी बदस्तुर जारी है। आम जनता लूटी जा रही है और हमारी सरकार चैन की नींद सो रही है।

(लेखक प्रतिभा जननी सेवा संस्थान के नेशनल को-आर्डिनेटर व युवा पत्रकार हैं)
नोटः 23 सितम्बर, 2012 को लिखा 



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