मंगलवार, 11 सितंबर 2012

दवा कंपनियों का खुल्लम खुल्ला डाका

कंट्रोल एम.एम.आर.पी अभियान के तहत

आशुतोष कुमार सिंह

देश में फैले दवाइयों के मकड़जाल को जितना समझने का प्रयास कर रहा हूं, उतना ही उलझते जा रहा हूं.इसकी गहराइयों में जितना डूब रहा हूं, कुछ देर बाद मालुम चल रहा है कि अभी तो मैं ऊपर ही ऊपर तैर रहा हूं. खैर, जब ओखल में सिर डाल ही दिया हूं तो मूसल से क्यों डरू.
 
जरा गौर से सिपला कंपनी की इस रेट लिस्ट को पढिए. तीन दवाइयों को हाइलाइट किया गया है.उस पर जरा और गौर फरमाइए. एमसिप 500 मिली. के एक इंजेक्शन का एम.आर.पी 72 रूपये बताया गया है और इसी का स्टॉकिस्ट प्राइस 7.42 रुपये है। सेटसिप टैबलेट प्रति 10 टैबलेट का एम.आर.पी 33.65 है जबकि स्टॉकिस्ट प्राइस 1.88 रूपये है.इसी तरह सेफटाज इंजेक्शन का मूल्य देखिए एम.आर.पी 355 रूपये और स्टॉकिस्ट प्राइस 66 रूपये है. सरकारी नियम यह कहता है कि कंपनियां लागत मूल्य से अधिकतम 100 प्रतिशत तक एम.आर.पी रख सकती हैं.इस नियम का पालन कितना हो रहा है.आप खुद देख सकते हैं. 
पिछले डेढ़ महीने से चल रहे ‘कंट्रोल एम.एम.आर.पी’ अभियान का कुछ सकारात्मक असर दिखने तो शुरू हुए हैं लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा का फोरन भी नहीं है। सरकार जल्द ही नेशनल फार्मास्यूटिकल्स पॉलिसी 2011 लाने वाली है. इसमें भी गरीबों के हितों की रक्षा होता नज़र नहीं आ रहा है.

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